ख्वाहिशों की मौत-9

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"कहो मामा के लाड़ले अफ़सर....... साहब कैसे इतनी जल्दी आना हुआ, साथ ही चले आते, न पल्लू बांध रखा था। खुश रहो, खुश रहो......दिनेश ने पैर छूकर विस्मय भरी निगाहों से ...

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